Wednesday, 4 January 2017

प्राकृतिक संख्याओं का योग

प्राकृतिक संख्याओं का योग (Sum of natural numbers) :-
—संकलित या अंकयुक्ति
इसके अन्तर्गत 1 तथा उसमें क्रमशः 1 जोड़ने पर प्राप्त संख्याओं के योग का नियम बताया है।
इसके लिए सर्वप्रथम (initially) श्रीधराचार्य का सूत्र इस प्रकार है —
सैकपदाहतपददमेकादिचयेन भवति संकलितम् ।
                                    (—त्रिशतिका, पृष्ठ - 23)
अर्थात :-
1 सहित अन्तिम (last) पद (term) या संख्या (n) को अंतिम संख्या से गुणा करें तथा उसका दल या द्विभाग करें।
इससे 1 तथा उसके साथ क्रमशः 1 को जोड़ने से प्राप्त संख्याओं का संकलित या जोड़ प्राप्त होता है।
इस नियम को भास्कराचार्य ने इन शब्दों में प्रकट किया है —
सैकपदघ्नपदार्धमथैकाद्यंकयुतिः किल संकलिताख्या ।
                    (—लीलावती, श्रेढ़ी व्यवहार, श्लोक - 1)
अर्थात :-
1 से जुड़कर बनने वाली क्रमिक संख्याओं के योग के लिए उस श्रेढ़ी के अंतिम पद (n) में जोड़ कर पद को आधे (half) से गुणा करना चाहिए।
इसे संकलित कहते हैं।
इस विवरण से इसके लिए यह सूत्र प्राप्त होता है —
1 + 2  +  3  +  4  + 5   +  - - - + अंतिम पद (n)
का योग  =  ½ × n × ( n + 1)
उदाहरण :-
इस नियम के अनुसार 1 से 10 तक के संख्याओं का योग इस प्रकार होगा यहाँ अंतिम पद (n) = 10 है।
1 +  2  + 3 + - - - + 10 = ½ × 10 × ( 10 + 1)
                                      = 5 × 11
                                      = 55 (उत्तर)